हरेक हर्फ़े-तमन्ना[1] इस इज़्तिरार[2] में है
केः फिर नसीब हो दरबारे-यारे-बंदः नवाज़
हर इक ग़ज़ल का सफ़ीना इस इंतज़ार में है
केः आए मिस्ले-सबा[3] फिर अनील[4] की याद
शब्दार्थ
- ↑ मदिरा के लिए इच्छुक
- ↑ आतुरता
- ↑ हवा की तरह
- ↑ अनिल बिस्वास-- प्रसिद्ध संगीतकार एवं संगीत-निर्देशक, हिन्दी में अनिल का अर्थ भी ’हवा’ होता है