दिल गया इज़्तिराब[1] बाक़ी है
गोया क़िस्सा जनाब बाक़ी है
अर्ज़े-उल्फ़त[2] पे जश्न हो जाए
गरचे उनका जवाब बाक़ी है
ख़ाक रक़्सां[3] है इस बियाबाँ में
चश्मे-बातिन[4] सराब[5] बाक़ी है
मेरी आँखों के जागने पे न जा
मेरी आँखों में ख़्वाब बाक़ी है
फ़िक्र उनको है रोज़े-महशर[6] की
मुझको ख़ुद से हिसाब बाक़ी है
शब्दार्थ
- ↑ बेचैनी (restlessness)
- ↑ प्रेम निवेदन (propositioning love)
- ↑ नाचता हुआ (dancing)
- ↑ अन्दरूनी आँख (inner eye)
- ↑ मरीचिका (mirage)
- ↑ क़यामत (day of final reckoning), आख़िरी हिसाब-किताब का दिन