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दिल साफ़ नहीं है मैं इबादत न करूँगा / ओम प्रकाश नदीम
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दिल साफ़ नहीं है मैं इबादत न करूँगा ।
धोका दूँ ख़ुदा को ये जसारत[1] न करूँगा ।
तूफाँ की क़यादत[2] करूँ कश्ती भी बचाऊँ,
ये मुझसे न होगा मैं सियासत न करूँगा ।
चाहे मेरी आवाज़ का कुछ भी न असर हो,
चुप रह के सितमगर की हिमायत न करूँगा ।
तुम अपनी रिवायात न तब्दील करोगे,
मैं अपने उसूलों से बग़ावत न करूँगा ।
ऐ इत्र के ताजिर ! तेरे बिज़नेस के लिए मैं,
गुलशन के गुलाबों की तिजारत[3] न करूँगा ।