उसका अपना ही करिश्मा है फ़सूँ है, यूँ है / फ़राज़
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उसका अपना ही करिश्मा है फ़सूँ है, यूँ है
यूँ तो कहने को सभी कहते है, यूँ है, यूँ है
जैसे कोई हो दर-
ए-दिल पर हो सितागा कब से
एक साया न दरू है न बरू है, यूँ है,
तुमने देखी ही नहीं दश्त-ए-वफा की तस्वीर
चले हर खाए पे कि कतरा-ए-खूँ है
, यूँ है
अब तुम आए हो मेरी जान तमाशा करने
नासे हा तुझ को खबर क्या कि मुहब्बत क्या है
रोज़ आ जाता है समझाता है
सुना है लोग उसे
सुना है रक्त है उसको खराब
सुना है दर्द की गाहर है चश्म-ए
सुना है उसको अभी है शेर-ओ-शायरी
सुना है बोले तो बातों से
सुना है दिन को उसे तितलियाँ सताती है
सुना है
सुना है
सुना है
सुना है
सुना है उसके लबों से गुलाब
सुना है उसके बदन के तराश ऐसी है कि फूल अपनी
सुना है उसके से मुत्त्सिल है
और रूके तो गर्दिशे उसका
चले तो उसको ज़माने ठरके देखते है
अगर वो क्वाब है तामीर कर के देखते है