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करबला
[एक रजज़][1]
फिर अलअतश की है सदा
जैसे रजज़ का ज़मज़मा
फिर रेगे-सहरा पर रवाँ
है अहले-दिल का कारवाँ
नहरे-फ़ुरात आतश-ब-ज़ाँ
रावि-ओ-गंगा ख़ूँचिकाँ
कोई यज़ीद[2]-ए-वक़्त हो
या शिम्र हो या हुरमुला
उसको ख़बर हो या न हो
रोज़े-हिसाब आने को है
नज़्दीक है रोज़े-जज़ा
ऐ करबला ऐ करबला
२.
गूँगी नहीं है ये ज़मीं
गूँगा नहीं ये आसमाँ
गूँगे नहीं हर्फ़ो-बयाँ
गूँगी अगर है मस्लिहत
ज़क़्मों को मिलती है ज़बाँ
वो खूँ जो रिज़्क़-ख़ाक़ था
ताबिन्दा है पाइन्दा है
सदियों की सफ़्फ़ाकी सही
इन्सान अब भी ज़िन्दा है
हर ज़र्रा-ए-पामाल[3] में
दिल के धड़कने की सदा
ऐ करबला ऐ करबला
३
अर्शे-रुऊनत के ख़ुदा
अर्ज़े-सितम के देवता
ये टीन और लोहे के बुत
ये सीमो-ज़र के किब्रिया[4]
बारूद है जिन की कबा[5]
रॉकेट की लय जिन की सदा
तूफ़ाने-ग़म से बेख़बर
ये क़समवादो-कमहुनर[6]
निकले हैं ले के अस्लिहा
लेकिन जल उट्ठी ज़ेरे-पा
रेगे-नवाहे-नैनवा
आँधी है मश्रिक़ की हवा
शो’ला फ़लसतीं की फ़ज़ा
ऐ करबला ऐ कराबला
४
ये मदरसे दानीशकदे[7]
इल्मो-हुनर के मयकदे
इनमें कहाँ से आ गये
ये कर्गसों के घोंसले
ये जह्ल की परछाइयाँ
लेती हुई अंगडाइयाँ
दानिशवराने-बेयक़ीं
ग़ैरों के दफ़्तर के अमीं
अल्फ़ाज़ के ख़्वाजासरा[8]
इनके तसर्रुफ़ में नहीं
ख़ूने-बहारे-ज़िंदगी
इनके तसर्रुफ़ में नहीं
ख़ूने-हयाते-ज़ाविदाँ[9]
बर्हम है इनसे रंगे-गुल
आज़ुर्दा है बादे-सबा
ऐ करबला ऐ करबला
५
लेकिन यही दानिश क़दे
हैं इश्क़ के आतशक़दे[10]
हैं हुस्न के ताबिशक़दे[11]
पलते हैं जिनकी गोद में
लेकर अनोखा बाँकपन
अस्रे-रवाँ के कोहकन
मेरे ज़वानाने-चमन
बुलबुल-नवा, शाहीं अदा
ऐ करबला ऐ करबला
६
ऐ ग़म के फ़र्ज़न्दो उठो
ऐ आरज़ूमन्दो उठो
ज़ुल्फ़ों की गलियों में रवाँ
दिल की नसीमे-ज़ाँफ़िज़ा
होटों की कलियों में ज़वाँ
बूए-गुल-ओ-बूए-वफ़ा
आँखों में तारों की चमक
माथों पे सूरज की दमक
दिल में जमाले-शामे-गम
रुख़ पर जलाले-बेनवा
गूँजी हुई ज़ेरे-क़दम
तारीक़ की आवाज़े-पा
शमशीर हैं दस्ते-दुआ
ऐ करबला ऐ करबला
७
प्यासों के आगे आएँगे
आएँगे लाये जाएँगे
आसूदगाने-जामे-ज़म
सब साहिबाने-बेकरम
खुल जाएगा सारा भरम
झुक जाएँगे तेग़ो-अलम[12]
पेशे-सफ़ीराने-क़लम[13]
रख़शन्दा[14] है रूहे-हरम
ताबिन्दा है रूए-सनम
सरदार के शि’रों में है
ख़ूने-शहीदाँ की ज़िया[15]
ऐ करबला ऐ करबला