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खिमासारी[1] हाट रन्दो, गढ़ू[2] स्यो सुमन्याल[3],
मालू[4] मा को माल होलो, वो सुमन्याल!
तरवर्यिा[5] माल होलू, गढ़ू त सुमन्याल!
जैका बाबू दादान, तरवार मारे,
वेको बेटा भी, तरवार मारी लालो!
खिमासारी हाट मा, पड़े धुरमी[6] अकाल,
तड़की तड़फी मरीन, लोक उखड़[7]-सा माछा[8],
जागू[9]-जागू पड़ीन, डाला का-सा गेंडा[10]!
स्वागीण[11] रांड ह्वैन, कोली[12] का मरीन बाला[13],
ज्वाती[14] नी भुंचा[15] कैन, जिन्दगीनी भोगी!
तड़ी-तपड़ीकरीं, कमाई सब खाई याले,
भूख मरण लैगे, गढ़ू सुमन्याल-
चल मेरी जिया[16], लीला देई,
आरुणी[17] जंगल जौला, जड़ी-बूटी खौला!
माता लीक तब गढ़ू, माल ऐगे आरुणी जंगल,
जिया लीला देईतब, बोलण लै गए:
कनो कलोबलो[18] वण छ, देखदौं मेरा गढू़,
सुणदौ[19], दीपीकोट[20] मा रन्दो, तुमारो बड़ा[21] दीपू,
तू लीजा वख[22], मेरी नौ लाख हँसुली[23],
अपणा बड़ा[24] मुँगै[25], भैंसी लीओ मोल!
आरुणी जंगल मा, दूध पर दिन बितौला!
तिन ठीक बोले मेरी जिया,
धरे गढू़ मालन, नौ लाख हँसुली,
जाई लगै ते, दीपीकोट मा!
ओ मेरी जदेऊ[26] मान्यान, तुम मेरा बड़ा जी
खिमासारी हाट मा, पड़ीगे अकाल!
मेरी जियान दिने, या नौ लाख हँसुली,
तुम देवा बड़ा जी, मैं भैंसी दुधाल!
दीपू बडान तब, गढू़ की आदर करे खातर
पकाये मालक[27], निरपाणी की खीर।
सुतपुल्या[28] घीऊ[29] दिने, पौंडल्या[30] दई,
खिलाये-पिलाये वैन, गढू़ सुमन्याल!
तब दीपून मन्सूबा ठाणो, मन्त्र किराये,
बुलाया तब वैन, वैका सात लड़ीक,
हे मेरा बेटों, ये मारी द्यान,
नितर[31] येई[32] छुटेड़[33], भैंस क्वी द्यान!
बाटा लैग्या स्ये, दीपू का साती सपूत,
तब बोलदू दीपू, जा मेरा गढ़ू़ माल,
डाँडा[34] मरुढ़ो[35] होली, लैंदी[36] भैंसी!
तब अगाड़ी फुल्डू, बाटा लगे गढ़ू माल,
साती भायों का मन मा, कपट सूझीगे!
गाडीन[37] साती, गंगलोड़ी[38] हात,
पर विधाता की, माया देखा,
तब गढ़ू सुमन्याल की, भुजा नलकदाब[39],
आँखी फफराँदी[40], तब वा वैकी!
क्या जी होई होलो, यो सगुन,
तब घूमीक पिछाड़े, देखद गढ़ू सुमन्याल!
भलू करे भायों, तुमून मैं नी मारयों,
तुम साती भाई मेरा, कौजाड़ा[41] मुंगक[42] नी छा!
तब चली गैन, वीं डाँडा मरोड़ी,
दिखाए साती भयोंन भैंसी एक छुटेड़!
या च मेरा दिदा[43], भैंसी दुधाल,
सात पथा सबेर देंदी या, सात पथा साँज!
उठै गढ़ू मालन, भैंसी कखरियाली[44] धरीले,
रौंड़दों[45]-दौड़दो, आरुणी जंगल ऐगे,
ले मेरी जिया, तेरा जिठाणा को दिन्यूँ भैंसो।
तब कायरी[46] होन्दी, जिया[47] लीला दे,
छोड़ दी पथेणा[48] नेतर[49]।
इना भैंसा मा गै, मेरी नौ लाख हँसुली,
सती होली मैं, आपणी माता की जाई,
सते होला जु, पंचनाम देवता
त ई भैंसी पर, दूद आई जान!
तब आरुणी जंगल वा, जड़ी खलौंदी बूटी,
भैंसी पर दूध, पैदा ह्वैगे!
गढ़ू माल तब, चैन की निन्द सेंद,
भैंसी चरोंद, दूद घुटक पेंद!
आरुणी जंगल होलू, भलो रौंत्यालु[50],
डाँडी[51] -काँठी[52] जनी, मन मोहदी।
गढ़ू सुमन्याल होलू, उलान्या[53] मुरल्या[54],
मुरली त होली वैकी, जनी जादून भरी!
तै जंगल मा रन्दी छई, सुरमा एक रौतेली,
रोज मोहन मुरली सुणदी,
मन मा मन्सूबा गणदी[55]-
इनी तैकी मुरली, अफू[56] कनो होलू?
तब वींको चित्त, ह्वैगे चंचल, मन ह्वैगे उदास,
दीदी भुल्यों मा, कना वैन बोदी:
जावा दीदी भुल्यों, तुम घर जावा,
मेरी माँ मु बोल्यान, सुरमा बाघन खैयाले।
जावा मेरी दगड्याण्यों[57], तुम घर जावा,
मेरी माँ मु बोल्यान, सुरमा भेल[58] पड़गे।
जावा मेरी जोड़ी सौंजड्यों[59], मैत[60] जावा,
मेरी मां मु बोल्यान, सुरमा गाड[61] बगगे[62]।
बाबरो ह्वैगे पराण, मुरल्या की खोज पैठीगे[63],
मरणू होई जान, मैन मुरल्याक जाणा।
गढ़ू माल होलू, तानियो[64] मा को तानी,
सुरमा देखीक, मुरली छिणै देन्द।
नौ दिन नौं रात, ह्वैगीन मुरल्या की खोज,
पर रौतेलीन, कखी मुरल्या नी पायो।
दसवाँ रोज देखेणे, गढू स्यो सुमन्याल,
काँठा मा को-सी सुरीज, शेर को-सी बच्चा।
ढकुली[65] ढवौन्दी सुरमा, माथो नवौंदी:
मैं तुमारी राणी छौं प्रभु, तुम मेरा पराणी!
लीगे तब गढू वीं तै, जीया का पास
- ↑ एक जगह
- ↑ एक नाम
- ↑ जाति का नाम
- ↑ बहादुर
- ↑ तलवार
- ↑ भयंकर
- ↑ बिना पानी की जमीन
- ↑ मछली
- ↑ जगह
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- ↑ गोदी
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- ↑ मां
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- ↑ हरा-भरा
- ↑ सुन ले
- ↑ एक जगह
- ↑ ताऊ
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- ↑ हँसुली, गले का आभूषण
- ↑ ताऊ
- ↑ से
- ↑ जयदेव
- ↑ बहादुर के लिए
- ↑ ताजा
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- ↑ छूटने वाली, दूध खतम होने वाली, पौंड्डी भैंस
- ↑ पहाड़ी
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- ↑ फड़कने लगी
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- ↑ बगल
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