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गीत 8 / पन्द्रहवां अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्गलपुरी
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ज्ञानी जन जानै तब मानै
ज्ञानी जन, हम परम पुरुष के तत्त्व सहित पहचानै।
वहेॅ पुरुष, हम वासुदेव के, चिन्तन भजन करै छै
उनकर सब टा दोष नसावै, संशय में न परै छै
जानै मूढ़ जगत के सब कुछ, जानै जोग न जानै
ज्ञानी जन जानै तब मानै।
जौने जानै जोग के जानै, वहै सर्वविद् ज्ञानी
जे क्षर-अक्षर पुरुष के जानै, से जन उत्तम प्राणी
ज्ञानी जन लीला रहस्य गुण, तत्त्व प्रभाव बखानै
ज्ञानी जन जानै तब मानै।
हे अर्जुन सब गोपनीय तोरा रहस्य बतलैलौं
जै से ज्ञानी होत कृतारथ से रहस्य बतलैलौं
हय रहस्य, सुधि जन के पावी, ज्ञानी संत बखानै
ज्ञानी जन जानै तब मानै।