भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मलिया के अँगना कसइलिया के डरवा / मगही
Kavita Kosh से
मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मलिया[1] के अँगना कसइलिया[2] के डरवा[3]।
लचकि लचकि भेल डार हे॥1॥
घर के बाहर भेलन, दुलरइता दुलहा।
तोड़लन कसइलिया के डार हे॥2॥
घर के बाहर भेलन, दुलरइता दादा।
मालिन ओरहन[4] देइ हे॥3॥
बरजहुँ हो बाबू, अपन दुलरुआ[5]।
तोड़ल कसइलिया के डार हे॥4॥
जनु कुछु कहऽ मालिन, हमरा दुलरुआ।
हम देबो कसइलिया के दाम[6] हे॥5॥